साइबर ठगों ने एक बार फिर अपनी चालाकी का परिचय देते हुए इस बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम का इस्तेमाल कर भारत में एक बड़ी ठगी को अंजाम दिया। इस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड में करीब 2 करोड़ रुपये की ठगी की गई, और अब यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
कैसे रची गई ट्रंप के नाम की साज़िश?
साइबर ठगों ने एक फर्जी स्कीम तैयार की जिसमें यह दावा किया गया कि डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से एक बड़ा निवेश भारत में किया जा रहा है। पीड़ित को यह विश्वास दिलाया गया कि उन्हें इस निवेश से जुड़ी एक ग्लोबल स्कीम में अहम भूमिका निभाने का मौका दिया जा रहा है, जिससे उन्हें भारी मुनाफा होगा।
ईमेल और कॉल के माध्यम से ठगों ने खुद को अमेरिकी अधिकारियों या ट्रंप फाउंडेशन से जुड़ा हुआ बताया। इस विश्वास को और पुख्ता करने के लिए नकली दस्तावेज, वेबसाइट और डिजिटल हस्ताक्षर भी दिखाए गए।
भरोसा जीतकर लगाया चूना
ठगों ने पहले छोटे-छोटे शुल्क जैसे ‘प्रोसेसिंग फीस’, ‘ट्रांजेक्शन टैक्स’ या ‘क्लियरेंस चार्ज’ के नाम पर कुछ हजार रुपये लिए। धीरे-धीरे यह रकम लाखों और फिर करोड़ों में पहुंच गई। जब पीड़ित को शक हुआ और उन्होंने संपर्क बंद करने की कोशिश की, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
साइबर सेल ने शुरू की जांच
जैसे ही यह मामला सामने आया, साइबर अपराध शाखा ने जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस ठगी का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हो सकता है और इसमें कई देशों के IP पते और सर्वर का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने पीड़ित के बयान दर्ज कर लिए हैं और डिजिटल सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है।
सावधानी ही बचाव है
यह मामला एक बार फिर इस सच्चाई को सामने लाता है कि कोई भी ऑफर जो असामान्य रूप से अच्छा लगे, वह अक्सर फर्जी होता है। सोशल मीडिया, ईमेल या कॉल पर आए किसी भी विदेशी स्कीम या इन्वेस्टमेंट प्रस्ताव से पहले उसकी गहराई से जांच करना जरूरी है। विदेशी नाम, प्रतिष्ठित हस्तियों का जिक्र और ग्लोबल इन्वेस्टमेंट जैसे शब्द अक्सर साइबर ठगों के मुख्य हथियार बनते जा रहे हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप जैसे बड़े नाम का इस्तेमाल कर 2 करोड़ रुपये की साइबर ठगी ने यह साफ कर दिया है कि साइबर अपराधी अब और भी ज्यादा पेशेवर, संगठित और तकनीकी रूप से सक्षम हो चुके हैं। ऐसे में आम नागरिकों, खासकर कारोबारी और निवेशकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। याद रखें — "साइबर जागरूकता ही साइबर सुरक्षा है।"
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